गोटें गायन का प्रचलन बुंदेलखंड में विशिष्ट रूप से है यहां कारस देव की गोट अंगाई जाती हैं इसके अतिरिक्त राजू गुर्जर की बेटी ऐलादी की भी गोटन गाई जाती हैं बुंदेलखंड के कथा गीत हैं यह गीत बुंदेलखंड के अनुष्ठानिक लोकगीत है जो समय और तिथि विशेष पर गाए जाते हैं गोटों में कारसदेव की वीरतापरक लोकगाथा है
कारसदेव का जीवन चरित्र, चमत्कार और युद्ध की कथा का पूरा विवरण फुटकर रूप से इन गोटों में मिलता है
कारस देव या ठाकुर बाबा के चबूतरे पर गोटिया एकत्रित होकर कभी एकल और कभी सामूहिक रूप से गोटें गाते हैं और भगत को प्रेरित करते हैं ताकि देवता का आवन हो सके इन वोटों में गायन में प्रशंसा परक टेर प्रभावी रहती हैं जिसमें भक्ति भावना का समावेश होता है गोटों के गायक प्रायः चिरगांव, झांसी ,उरई, महोबा, बांदा, एवं आगरा के आसपास के क्षेत्रों से अधिक मिलते हैं