कहरवा राग में गाया जाने वाला यह गीत कहार जाति के लोगों द्वारा गाए जाते हैं इन गीतों को गाते समय नृत्य और वाद्यंत्रों का साहचर्य लिया जाता है इस गीत की अपनी कोई विशेषता नहीं होती है किंतु वाद्य यंत्र के साथ गाया जाता है उस का अत्यधिक महत्व है
यह जातीय गीत अत्यधिक करण रोचक होता है प्रेम लीला, वात्सल्य श्रंगार के साथ ही इन गीतों में रहस्य निर्गुण दर्शन एवं धार्मिक तत्वों का समावेश रहता है कहरवा गीत को हुड़क नामक वाद्य यंत्र पर गाया जाता है