काछी जाति द्वारा गाए जाने वाले गीत कछियाई कहा जाता है इन गीतों में शृंगार रस का प्रधान होता है भक्तिपरक गीतों को भी गाया जाता है इनकी जाति के कवियों के गीत में इनके दैनिक जीवन की झलक मिलती है कछियाई लोकगीत पुरुष प्रधान रहते हैं किंतु कुछ मांगलिक अवसरों में उनके घरों की महिलाएं इन्ही के वाद्य यंत्रों के ताल पर बड़ी सुंदर लोक नृत्य करती है जिसे देखकर लोग भाव विभोर हो जाते हैं कछियाई गीतों मैं बजाए जाने वाले वाद्य यंत्रों में सारंगी और खंजरी होते हैं
कछियाई गीतों में कुछ बहुत सी लोक धुनें समाहित रहते हैं जिन्हें अपनी रागनी में परिवर्तित करते गाते हैं सारंगी के साथ गायक गीत की पंक्तियाँ गाता है और उसके बाद उसका साथ , उसके साथी देते है किंतु बहुत गायक ही गीत को पूरा करता है और उसी के स्वर में प्रधानता बनी रहती है