पुत्र जन्म के अवसर पर आयोजित समारोह में यह नित्य महिलाओं द्वारा किया जाता है इस नृत्य में एक या एक से अधिक महिलाएं भाग लेती हैं इसमें नृत्य वाद्य यंत्र के रूप में ढ़पला या बैंड बाजा बजाया जाता है इसमें जो लोग गीत गाए जाते हैं उन्हें बधैया गीत कहा जाता है यह नृत्य विशेषता चौक(छटी) के दिन बुआ और बहनों के द्वारा जच्चा बच्चा के लिए बधावा की सामग्री देते समय किया जाता है
इन गीतों में सास बहू की तकरार ननंद – भोजाई की छींटाकशी और अन्य वाद – विवाद की रसीली प्रस्तुति अधिकतर होती है साथ ही बधाई के स्वरों में सुखी रहने के लिए मंगल कामनाओं का समावेश भी होता है
बधैया नृत्य में उत्साह की नर्तकी को थिरकन की प्रेरणा देता है और ढोलक की थाप के साथ यह नृत्य शास्त्रीय नृत्य को पीछे धकेल कर दर्शकों को भी हर्ष के सागर में डुबकी लगाने की विवश कर देता है