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24वें बुन्देली उत्सव का भव्य शुभारंभ

Bundeli Utsav events

बुन्देली संस्कृति पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रही है: गोविंद सिंह राजपूत
24वें बुन्देली उत्सव का भव्य शुभारंभ

सांस्कृतिक कार्यक्रमों, खेल प्रतियोगिताओं ने बिखेरी बुन्देलखण्ड की खुशबू

रविवार से पर्यटक ग्राम बसारी के राव बहादुर सिंह स्टेडियम में 24वें बुन्देली उत्सव का भव्य शुभारंभ हो गया। बुन्देली कला और संस्कृति को समर्पित इस सात दिवसीय आयोजन का शुभारंभ मप्र के राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के मुख्य आतिथ्य में किया गया। इस अवसर पर श्री राजपूत ने कहा कि 24 साल एक बहुत बड़ा वक्त होता है। बुन्देली विकास संस्थान एवं पूर्व विधायक मुन्नाराजा के प्रयासों का नतीजा है कि उन्होंने इस अनूठे आयोजन को देश भर में पहुंचाकर बुन्देलखण्ड की कला और संस्कृति को विस्तार दिया है। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि हम बुन्देलखण्डी हैं। हमारी कला, संस्कृति, रीतिरिवाज, बोली, खेल, गायन और नृत्य आज देश भर में चर्चित हो रहे हैं। उन्होंने फिल्मों में लिए गए कई बुन्देली गीतों को मंच से गाकर सुनाया और कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारे शब्द और संस्कृति दुनिया का ध्यान खींच रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके सागर जिले की राई लोक नृत्य की टीम को जापान में नृत्य प्रतियोगिता में जब प्रथम पुरस्कार मिला तब दुनिया ने माना कि हमारा लोक नृत्य, हमारी संस्कृति कितनी अनूठी है।
श्री राजपूत के उद्बोधन के पूर्व बुन्देली विकास संस्थान के संरक्षक एवं पूर्व विधायक मुन्नाराजा ने अपने स्वागत भाषण में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का स्वागत करते हुए कहा कि वे बुन्देलखण्ड के एक ओजस्वी नेता हैं जिनसे समूचे बुन्देलखण्ड को ढेर सारी आशाएं हैं। उन्होंने कार्यक्रम में पधारे अन्य मेहमानों का भी स्वागत किया। संबोधन के पूर्व स्कूली बच्चों के द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियोंं के माध्यम से बुन्देली एवं छत्तीसगढ़ की लोक कलाओं को मंच पर उतारा गया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर एवं साहित्यकार डॉ. बहादुर सिंह परमार ने किया। इस अवसर पर पूर्व कृषि मण्डी अध्यक्ष डीलमणि सिंह बब्बूराजा, देवेन्द्र प्रताप सिंह दिल्लू राजा, बुन्देली विकास संस्था के अध्यक्ष आदित्य शंकर बुन्देला, प्रदेश सचिव सिद्धार्थ शंकर बुन्देला, घासीराम साहू, लखन दुबे, चौबे चौधरी, जमाल अहमद, प्रभात अग्रवाल, सोनू खान, फैय्याज खान, मोहम्मद हनीफ, दीप्ती पाण्डेय, रमा चौहान, सपना चौरसिया, आबिद सिद्दीकी, अमित गोस्वामी, लोकेन्द्र वर्मा सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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रोमांचक रहे दंंगल के दांवपेच, रंगोली और चित्रकारी ने किया आकर्षित

24वें बुन्देली उत्सव का शुभारंभ रंगोली, लोक चित्रकारी और विराट दंगल की प्रतियोगिताओं के साथ हुआ। इस अवसर पर देश के कोने-कोने से आए पहलवानों ने दंगल के दांवपेच दिखाकर लोगों को रोमांचित कर दिया। दंगल में महिला एवं पुरूष पहलवानों के अलग-अलग मुकाबलों के साथ-साथ एक-दूसरे से भी रोचक मुकाबले हुए। इस मुकाबले में पंजाब की महिला पहलवान परमजीत, राजस्थान के शमशेर, जालिम ङ्क्षसह, मथुरा के सोनू, राजस्थान के ज्वाला सिंह की कुश्तियां लोगों को रोमांचित करती रहीं। अन्य पहलवानों में पंजाब से भीम, अंबाला से मोनू, कानपुर से आदिल, मथुरा से अनुज, जालौन से टाईगर मोहन सिंह, कोटरा से मनोज पहलवान, कानपुर से बबलू पहलवान, राजस्थान से शैतान पहलवान के अलावा कालीघटा पहलवान एवं रसीद पहलवान ने भी अखाड़े में अपने दांवपेच से दर्शकों को हैरान कर दिया।
इसके साथ-साथ पहले दिन आयोजित चित्रकारी प्रतियोगिता में मयंक राजा, दीपा अग्रवाल, राहुल गु्रप बसारी, अतुल चौधरी, रूपाली बुन्देला ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। इस प्रतियोगिता में अतुल चौधरी प्रथम, दीपा अग्रवाल द्वितीय स्थान एवं कला ही जीवन है गु्रप तृतीय स्थान पर रहे। इसी तरह दर्जनों छात्र-छात्राओं व महिलाओं ने बुन्देली उत्सव के मंच के समक्ष आकर्षक रंगोली का प्रदर्शन किया। इस प्रतियोगिता में क्रिएटिव आर्ट ग्रुप प्रथम, सपना साधना गु्रप द्वितीय एवं गीता अहिरवार तीसरे स्थान पर रहीं।

बुन्देली उत्सव अपने पुरखों का ऋण चुकाने की परंपरा है: राजेश बादल

बुन्देली उत्सव के मंच से इस वर्ष पत्रकारिता के लिए दिए जाने वाले पं. हरिराम मिश्र स्मृति सम्मान को देश के जाने-माने पत्रकार राजेश बादल को प्रदान किया गया। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में देश के कई शीर्षस्थ चैनलों में अपनी सेवाएं दे चुके राजेश बादल छतरपुर की मिट्टी से जुड़े और यहीं के निवासी हैं। उन्होंने छतरपुर से ही अपनी पत्रकारिता का सफर शुरू किया था। रविवार को वे सपत्नीक इस आयोजन में शामिल हुए। बुन्देली उत्सव के शुभारंभ अवसर पर बुन्देली विकास संस्थान द्वारा उन्हें उक्त सम्मान से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर श्री बादल ने कहा कि देश में अन्य स्थानों पर सम्मानित होने और अपनी माटी अपने लोगों के बीच सम्मान पाने में बहुत फर्क होता है। उन्होंने कहा कि यह अवसर पर भावुक होने का है। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या कहूं। उन्होंने कहा कि में छतरपुर में ही जन्मा, पढ़ा-लिखा और यहीं से मिली प्रेरणाओं ने कुछ करने लायक बना दिया। इस अवसर पर उन्होंने बुन्देली उत्सव की भी मुक्त कंठ से सराहना की और कहा कि अपनी संस्कृति और कला को सहेजने का यह आयोजन दरअसल अपने पुरखों का कर्ज चुकाने की परंपरा है। उन्होंने कहा कि आज संस्कृति को सहेजने की जरूरत है जो देश अपनी संस्कृति को नहीं सहेज पाते उनका वजूद ही खत्म हो जाता है। उन्होंने बुन्देली विकास संस्थान का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पूर्व विधायक शंकर प्रताप सिंह मुन्नाराजा, पूर्व मण्डी अध्यक्ष डीलमणि सिंह बब्बूराजा, देवेन्द्र प्रताप सिंह दिल्लू राजा, वरिष्ठ पत्रकार श्यामकिशोर अग्रवाल, राकेश शुक्ला, समाजसेवी शंकर सोनी सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
बुन्देली बखरी में दिखा गांव का माधुर्य, काष्ठशिल्प को मिले खरीददार
इस वर्ष बुन्देली विकास संस्थान द्वारा 24वें बुन्देली उत्सव में दो अनूठे आकर्षण शामिल किए गए हैं। बसारी के राव बहादुर सिंह स्टेडियम में ही मंच के दाएं तरफ एक बुन्देली बखरी का निर्माण किया गया है। बुन्देलखण्ड के ग्रामीण अंचलों में मौजूद मिट्टी के कच्चे मकान और उन पर अनूठी लोक चित्रकारी इस बुन्देली बखरी को आकर्षक बना रही है। बखरी में ही छोटा कुआं, चारा काटने वाली मशीन और खाट के कारण इस बुन्देली बखरी की सुंदरता देखते ही बनती है। इसी बुन्देली बखरी के बगल में लकड़ी के सुंदर खिलौनों की एक दुकान सजाई गई है। काष्ठ शिल्प को प्रदर्शित करने और हस्तकला को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सजायी गई इस दुकान पर रखे खिलौने लोगों को आकर्षित कर रहे हैं एवं लोग इन्हें खरीदकर अपने घरों में ले जा रहे हैं।