नगडिय़ा की थाप और बुन्देली गीतों पर झूमी राई नृत्यांगनाएं

Bundeli Utsav events Notices

बुन्देली उत्सव की आखिरी शाम सम्मानित हुईं विभूतियां
यह उत्सव बुन्देली संस्कृति का कर्णधार है: बृजेन्द्र प्रताप सिंह
जिन पेड़ों की जड़ें कमजोर होती हैं वे हवा के झोके पर गिर जाते हैं: मुन्नाराजा
छतरपुर। बुन्देली भाषा, कला, संस्कृति और यहां की परंपराओं को सहेजने, संवारने के लिए आयोजित 24वें बुन्देली उत्सव की आखिरी शाम लोक नृत्य राई के नाम रही। नगडिय़ा की थाप और बुन्देली गीतों के माधुर्य के बीच जब राई नृत्यांगनाओं ने अपना नृत्य प्रस्तुत किया तो हजारों दर्शकों से खचाखच भरा बसारी का राव बहादुर सिंह स्टेडियम झूम उठा। बुन्देली उत्सव की आखिरी शाम के मुख्य अतिथि रहे विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह। इस अवसर पर कई विभूतियों को मंच से उनके सामाजिक योगदान के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के समापन पर बुन्देली उत्सव के संरक्षक पूर्व विधायक मुन्नाराजा ने कहा कि अगले वर्ष बुन्देली उत्सव का रजत जयंती समारोह और भव्य तरीके से मनाया जाएगा।
कार्यक्रम की शुरूआत मां सरस्वती और महाराजा छत्रसाल के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुई। तदोपरांत बुन्देली विकास संस्थान के पदाधिकारियों ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सहित अन्य अतिथियों का स्वागत किया। मुख्य अतिथि रहे पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि 24 साल से हो रहा यह बुन्देली उत्सव हमारी सांस्कृति धरोहर को देश दुनिया में पहुंचाने का माध्यम बना है। उन्होंने कहा कि सही मायने में इस आयोजन एवं आयोजन के मुखिया मुन्नाराजा ने बुन्देली संस्कृति के कर्णधार के रूप में भूमिका निभाई है। अतिथियों का स्वागत करते हुए आखिरी शाम पर जनता को संबोधित कर रहे पूर्व विधायक मुन्नाराजा ने कहा कि यह आयोजन बुन्देली विरासत की जड़ों को मजबूत करने के लिए 24 वर्ष पहले प्रारंभ किया गया था। उन्होंने कहा कि जिन पेड़ों की जड़ें मजबूत होती हैं उन्हें आंधियां भी हिला नहीं पाती लेकिन जिन पेड़ों की जड़ें कमजोर होती हैं वे जरा सी हवा में गिर जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपनी भाषा और संस्कृति को जड़ों की तरह सींचना चाहिए। उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे भले अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ाएं लेकिन उनसे बुन्देली में बात करें और उन्हें बुन्देली संस्कृति से अवगत कराएं ताकि हमारी विरासत खत्म न पाए। अतिथियों के संबोधन के उपरांत ललितपुर से आई मान सिंह पाल की टीम एवं जित्तू खरे बादल की टीमों ने देर रात तक लोक नृत्य राई पर प्रस्तुतियां दीं।


विभूतियां हुईं सम्मानित
24वें बुन्देली उत्सव की आखिरी शाम बुन्देली विकास संस्था के द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में श्रेष्ठ कार्य करने वालीं तीन विभूतियों को मंच से सम्मानित किया। लोक गायन के क्षेत्र में श्रीमती उर्मिला पाण्डेय को डॉ. नर्मदा प्रसाद गुप्त स्मृति सम्मान से नवाजा गया तो वहीं प्रिंट मीडिया के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए वरिष्ठ पत्रकार रविन्द्र सोनकिया को पं. हरीराम मिश्र स्मृति सम्मान एवं बुन्देली उत्सव में सराहनीय योगदान के लिए पर्वत सिंह को गौरिहार नरेश प्रताप सिंह सम्मान से सम्मानित किया गया। तदोपरांत बुन्देली उत्सव में लगातार 7 दिनों तक अपनी सेवाएं देने वाले संचालक जगदीश गंगेले, डॉ. बहादुर सिंह परमार, अशोक ताम्रकार, डॉ. विष्णु अरजरिया, सचिन जैन, जयप्रकाश श्रीवास, राजकुमार सेन गोल्डू, संदीप यादव को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए।