बुन्देली सोहर गीत के बारे में

सोहर शब्द की उत्पत्ति शोभन शब्द से हुई है शोभिलो,  सोहिलो , सोहद और सोहर  शब्द इसी से बने हैं सोहर सन्सकार परक मंगल गीत हैं जिन्हें पुत्र जन्म के समय, उपनयन संस्कार, अगंत्रो,  मुंडन कनछेदन , नामकरण , अन्नप्रासन आदि अवसरों पर गाया जाता है

इन गीतों में भावो की व्यापकता रहती है इनमें जीवन की अनेकानेक स्थितियों का सजीव वर्णन किया जाता है ढोलक की थाप पर गाए जाने वाले सोहर गीत ह्रदय में आनंद देख की सृष्टि करते हैं इन गीतों का प्रधान रस प्रायः श्रंगार ही रहता है

संतान की आकांक्षा के गीत,  चरुआ गीत,  साधो के गीत, भौ लोटन के गीत,  सरिया गीत , काजर आंजने के गीत,  छठी,  पालना, नरा छीनना ,  मुंडन ,  कनछेदन  के गीत , आदि सोहर गीत भी गाए जाते हैं