बुन्देली फाग

बुंदेलखंड में फागुन का महीना विशेष उत्साह उल्लास का महीना होता इस माह में गाए जाने वाले गीत खिलाते हैं फाग बसंत ऋतु की गीत है जो जीवन की मस्ती से आपूरित होते हैं इनका प्रधान विषय शृंगार है फागों में विशेष रूप से राधाकृष्ण , राम सीता , शिव पार्वती के परस्पर होली खेलने का वर्णन मिलता है

बुंदेलखंड में छह प्रकार की फाग विशेष रूप से गाई जाती हैं – 

1 .सखयाऊ या साखी फ़ाग

सखी फाग जो कबीर की साखी का ही लय  भिन्न गीत है

2 . डफ या डहका फ़ाग

ढप ढपली या डहका वाद्य यंत्र के साथ गाए जाने के कारण इसे  डफ की फ़ाग कहते है

3 . डिड़खुरयाऊ या डेढ़ खुर की फाग
4 . चौकड़िया या टहूका फाग

चार  कड़ी की होने के कारण इसे चौकड़िया कहा जाता है ईसुरी  इस के जनक  है यह नरेंद्र छंद में लिखी जाती है

5 .छन्दयाऊ या लावनी  फाग

छन्दयाऊ या लावनी फाग में पहले टेकपर लावनी छंद इसके बाद दोहा छंद रख दिया जाता है इसके बीच छंदोपरांत उड़ान रखी जाती है फिर पुनः टेक रखी जाती है

6 . खड़ी फाग

इसे नरेंद्र छंद में लिखा जाता है इस छंद में 28 मात्राएं तथा 16 -12 मात्राओं पर यति होती है जब इस इस छंद में 28 मात्राओं की जगह पर 30 मात्राएं तथा 16 – 14 पर यति की हो जाती है तब ये खड़ी फाग बन जाती है